Murder or trap 10
रूद्र, मृदुल और चिराग तीनों रूद्र के घर पहुंच गए। और दिनों की अपेक्षा आज वह लोग जल्दी ही घर आ गए थे क्योंकि पूरा दिन बहुत ही ज्यादा व्यस्त और टेंशन भरा बीता था। कल फिर से उसी टेंशन भरे माहौल में अपना काम करने के लिए शरीर और मन को आराम देना जरूरी था।
फ्लैट के अंदर पहुंचकर तीनों ने हाथ मुंह धोए और बेड पर बैठ कर पूरे दिन के घटनाक्रम के बारे में सोचने लगे तीनों चुपचाप ही बैठे आज पूरे दिन भर में जो भी हुआ था उसी के बारे में सोच रहे थे।
चिराग ने सबको ऐसे गंभीरता से बैठे देखा तो उसने रुद्र और मृदुल को झकझोरते हुए कहा, "क्या हो गया?? तुम लोग शायद भूल गए हो कि तुम दोनों ने मुझे आज ट्रीट देने का वादा किया था। यहां आकर तो ऐसे बैठ गए हो.. जैसे कि वादा करके जिंदगी की सबसे बड़ी गलती कर दी हो तुमने!!"
मृदुल और रुद्र चिराग की बात सुनकर चौक गए।
"क्यों..? ऐसा क्या हो गया?? ऐसा क्यों बोल रहा है??" मृदुल ने परेशान होते हुए पूछा।
"और क्या.. सुबह से घर से निकले जिसके अब वापस आए हैं। इतनी भागदौड़ टेंशन के बाद अब थोड़ी देर आराम मिला है.. तो तुम लोग खाने-पीने की व्यवस्था करने की जगह ऐसे मुंह बना कर बैठे हो जैसे किसी के घर शोक व्यक्त करने आए हैं।" चिराग ने मुंह फुलाते हुए कहा।
कुछ देर वहां पर शांति बिखरी रही। चिराग एक तरफ मुंह करके मुंह फुलाए हुए बैठा था।
"तुम्हें ट्रीट चाहिए थी ना.. चलो बताओ.. क्या खाना है..?? वही आर्डर कर देता हूं..!!" रूद्र ने चिराग को मनाते हुए कहा। चिराग बिना कुछ बोले मुंह फुलाए हुए ही बैठा रहा। रुद्र के दुबारा पूछने पर चिराग ने उत्साहित होते हुए अपने पसंद के खाने की लिस्ट बता दी।
रूद्र और मृदुल दोनों ही चिराग की लिस्ट सुनकर हैरान रह गए।
"इतना सारा खाना..!! तू अकेला खा लेगा..?" मृदुल ने चौंकते हुए पूछा।
"क्यों..? तुम दोनों का आज उपवास है! तुम लोग नहीं खाने वाले हो..!" चिराग ने कहा।
"हां खाएंगे ना..! और जो तूने बोला है वह सब कुछ भी अभी ऑर्डर कर देता हूं!" रूद्र ने कहा और अपने फोन से चिराग की पसंद का खाना ऑर्डर कर दिया।
उसके बाद वह तीनों बैठकर फिर बातें करने लगे।
रूद्र ने कहा, "आज जितने भी सबूत मिले हैं.. उनकी फॉरेंसिक रिपोर्ट परसों तक मिल ही जायेगी। तब तक कल हम अखिल और दीप के घर के नौकरों से पूछताछ कर लेते हैं।" रूद्र के इतना कहते ही चिराग ने उसे टोक दिया।
"क्या यार..! दिन भर से तो काम ही कर रहे थे ना.. अब थोड़ी देर रेस्ट कर ले..! खाना खाने के बाद इस बारे में बात करेंगे।" मृदुल ने भी चिराग की हां में हां मिलाई और यह डिसाइड हुआ कि खाना खाने के बाद वह इस केस के बारे में बातचीत करेंगे।
रूद्र, मृदुल और चिराग तीनों बेड पर बैठे अपने कॉलेज और ट्रेनिंग के किस्सों के बारे में बातें करने लगे।
आधा घंटे के बाद रुद्र के घर की डोर बेल बजी.. रुद्र ने जाकर देखा तो उनका आर्डर किया हुआ खाना आ चुका था। रुद्र ने बिल पेमेंट किया और खाना अंदर लाकर सर्व किया। तीनों ने खाना खाया उसके बाद चिराग के ऑर्डर की हुई आइसक्रीम खाते हुए तीनों केस पर डिस्कस करने लगे।
रूद्र ने कहा, "अच्छा हुआ अधिकतर सबूत हमें आज ही मिल गए। पर एक बात समझ नहीं आ रही थी.. कि खून के निशान, खून से रंगे हुए कपड़े, आधी फटी हुई डायरी और डेली यूज का सामान वहां छुपाया हुआ था तो दीप को मिसिंग कंप्लेंट फाइल करने की जरूरत क्या थी..? कहीं ऐसा तो नहीं कि वह हमें उलझाना चाहता था।"
रुद्र की बात सुनकर मृदुल और चिराग दोनों सोच में पड़ गए थे। चिराग ने कहा, "हो सकता है कि वह हमें गुमराह करने की कोशिश कर रहा था। अगर उसने कंप्लेंट की भी थी.. तो भी उसने कंप्लेंट वापस क्यों ली..?"
"यह भी सोचने की बात है। अगर यह सब सबूत किसी कत्ल की तरफ इशारा कर रहे हैं.. तो फिर हमें डेड बॉडी भी तो ढूंढनी होगी। हो सकता है की डेड बॉडी भी वही मिले..!" मृदुल ने गंभीरता से कहा।
"हो तो सकता है..! कत्ल हुआ हो.. लेकिन पहले फॉरेंसिक रिपोर्ट मिल जाए.. तो फिर हमें अंधेरे में तीर नहीं चलाना होगा। हमें एक निश्चित रास्ता मिल जाएगा कि हमें इस पर चलते हुए ही इस केस को सॉल्व करना है।" रूद्र ने कहा।
मृदुल और चिराग को भी रुद्र की बात पसंद आई।
चिराग ने कहा, "तो फिर मैं एक काम करता हूं। उस डायरी को समर के पास से लेने के लिए मैं सुबह की बजाए शाम को लौटते टाइम जाऊं और दिन भर में हम अखिल और दीप के घर के नौकरों से अलग-अलग पूछताछ करें। अलग-अलग पूछताछ करने पर हो सकता है हमारे हाथ कोई मजबूत कड़ी लग जाए।"
"हां हो तो सकता है.. पर एक बात और है..! अगर अनीता का कत्ल हुआ है तो उसकी बॉडी बरामद करने के साथ-साथ हमें मर्डर का मोटिव भी ढूंढना होगा। नहीं तो जब हम कोर्ट में चार्ज शीट फाइल करेंगे.. तो दीप और उसके परिवार को इस केस से साफ-साफ बचने के लिए एक लूपहोल मिल जाएगा।" मृदुल ने इस बात पर दोनों का ध्यान खींचा।
"हां यह तो है.. पर अब इतने सारे सबूत मिलने के बाद हमें हर एक कदम सोच समझकर और बहुत ही ध्यान से उठाना होगा। आज के सबूतों के बारे में पता चलते ही अब तक तो दीप की फैमिली ने एक बड़ा लॉयर हायर भी कर लिया होगा। इससे पहले कि वह लॉयर सभी को कुछ पट्टी पढ़ाए.. जिससे हमें मुसीबत हो.. हमें सबसे बात करके सब के बयान ले लेना चाहिए।" रूद्र ने कहा।
मृदुल और चिराग दोनों को रुद्र की बात बिल्कुल ठीक लगी।
चिराग ने कहा, "तो फिर एक काम करते है.. कल सुबह जितनी जल्दी हो सके हम दीप के घर पहुंच जाते हैं। ताकि वो लोग कोई भी गड़बड़ करें उससे पहले ही हम हमारे पैर मजबूत कर चुके हों।"
"ठीक है..! मैं रनवीर को कॉल करके बता देता हूं कि हम लोग कल सुबह सुबह ही उनके घर पूछताछ के लिए पहुंच जाएंगे।" मृदुल ने बेड से उठ कर जेब से फोन निकालते हुए कहा।
"पागल हो गया है क्या..? अगर रनवीर को यह बात पता चल गई तो वह रात में ही दीप से कहकर वकीलों की फौज खड़ी कर देगा। और सुबह हम किसी से भी सच नहीं उगलवा पाएंगे।" चिराग ने जल्दबाजी से कहा।
मृदुल ने जैसे ही चिराग की बात मानते हुए फोन वापस अपनी जेब में रखने के लिए हाथ डाला.. उसे अपनी जेब में कुछ चुभता हुआ महसूस हुआ। उसने हाथ से टटोलकर वह चीज बाहर निकाली.. तब उसे याद आया कि वह क्या था..? उसने अपने सर पर हाथ मारा और कहा, "सॉरी यार..! आज पूरे दिन की आपाधापी में मैं तुझे बताना ही भूल गया कि मुझे अवंतिका के कमरे से यह मिला है..!"
रूद्र और चिराग ने झटके से बेड से उठते हुए मृदुल के हाथ में रखी उस चीज को देखा।
"यह.. यह क्या है..?" चिराग ने पूछा।
"यह नोज रिंग है..!" मृदुल ने कहा।
"हां तो..! इसे यहां लाने का क्या मतलब..?" चिराग ने पूछा।
रूद्र अभी भी उस नोज रिंग को गौर से देख रहा था।
"इसे मैंने कहीं देखा है.. पर याद नहीं आ रहा कि कहां..?" रुद्र ने कहा।
मृदुल धीरे से चलते हुए उस बोर्ड की तरफ गया जहां रुद्र ने इस केस को सॉल्व करने के लिए सबूतों, फोटो जरूरी बातों को लिखकर एक चार्ट तैयार किया था।
मृदुल ने वह नोज रिंग पकड़कर अनीता की फोटो के पास में रखते हुए कहा, "यहां देखा है..!!"
यह सुनते ही चिराग और रुद्र दोनों ही चौक गए। "
मतलब यह नोज रिंग अनीता की है..!!" चिराग ने लगभग चिल्लाते हुए कहा।
"धीरे भाई..! हां यह नोज रिंग अनीता की है और मुझे यह अवंतिका के कमरे में रखे सोफे के पायदान के नीचे फंसी हुई मिली। इसे गौर से देखो यह टूटी हुई है.. इसका मतलब यह हो सकता है कि वहां कुछ छीना झपटी हुई हो और इसी छीना झपटी में टूट कर यह नोज रिंग सोफे के पायदान के नीचे फंस गई। किसी का ध्यान इस पर नहीं गया.. इसीलिए यह मुझे वहां मिल गई।" मृदुल ने अपनी बात साफ की।
"इसका मतलब के मंदिर के पुजारी की कही बात सही है। अनीता के ऊपर अवंतिका और अंजू अत्याचार करते होंगे.. आई मीन की डोमेस्टिक वायलेंस का भी केस है।" चिराग ने कहा।
रूद्र ने उन दोनों की तरफ देखते हुए कहा, "इसके अलावा और कुछ भी है.. जो हमें फॉरेंसिक लैब में टेस्ट के लिए देना था और हम भूल गए।" तीनों ने एक दूसरे की तरफ देखा और अपनी अपनी जेबें चेक की।
चैक करने के बाद तीनों ने ना कर दिया।
"नहीं मेरी जेब में कुछ भी नहीं है!!" चिराग ने कहा।
"तो फिर एक काम करो मृदुल इस नोज रिंग को यहीं रख दो और फटाफट जाकर रेस्ट करो। सुबह हम लोगों को जल्दी ही दीप के घर पहुंचना होगा।" ऐसा कहकर रूद्र जल्दी से बेड पर कूद गया।
उसे ऐसे कूदता देख चिराग और मृदुल दोनों ने एक दूसरे की तरफ देखा और वह दोनों भी बेड पर कूद गए। दिन भर के थके होने के कारण तीनों जल्दी ही गहरी नींद में सो गए।
सुबह जल्दी उठकर तीनों तैयार होकर दीप के घर जाने के लिए निकल गए।
मृदुल, रुद्र और चिराग तीनों सुबह 8:00 बजे तक दीप के घर पहुंच गए। घर के सभी सदस्य हॉल में बैठे ब्रेकफास्ट कर रहे थे कि उन्होंने तीनों को आते देखा तो वह सभी चौक गए। रनवीर तब तक वहां नहीं आया था। उन तीनों को ऐसे अचानक सुबह-सुबह आया देख अवंतिका बहुत ही ज्यादा गुस्से में दिखाई दे रही थी.. उसने अपने हाथ में पकड़ी चम्मच जोर से प्लेट में पटकी और पैर पटकते हुए अपने रूम में चली गई। अवंतिका को ऐसे ब्रेकफास्ट बीच में छोड़कर गया देख बाकी फैमिली के लोग भी एक-एक करके उठकर अपने अपने कमरे में चले गए
उसी टाइम हड़बड़ाया हुआ और गिरता पड़ता रनवीर वहां पर पहुंचा।
"ऑफिसर..! आप लोग इतनी सुबह सुबह कोई प्रॉब्लम..??"
"नहीं रनवीर जी..! कोई प्रॉब्लम नहीं है। बस ऊपर से थोड़ा सा प्रेशर बढ़ गया है सबूत मिलने के बाद से। इसीलिए जल्दी से जल्दी हमें हमारी इन्वेस्टिगेशन खत्म करके फाइल ऊपर पहुंचानी है। इतनी सुबह सुबह आना पड़ा उसके लिए माफ चाहते है।" रुद्र ने कहा।
"इट्स ओके..! बताइए इतनी सुबह सुबह आने का कारण??" रनवीर ने पूछा।
"हमें अखिल जी से और घर के सभी नौकरों से पूछताछ करनी है। अगर आप लोगों को बहुत ज्यादा प्रॉब्लम ना हो तो सबसे पहले हम अखिल जी से पूछताछ करेंगे!!" रूद्र ने कहा।
"ओके आप लोग बैठिये.. मैं अभी अखिल अंकल को बुला कर लाता हूं।" ऐसा बोलते हुए रनवीर तेजी से अखिल के रूम की तरफ चला गया।
मृदुल, रुद्र और चिराग तीनों ही समझ गए थे कि अब काम जैट की स्पीड से पूरा करना होगा। घर के लोग अब समझ चुके थे कि उनकी पोल लगभग खुलने वाली थी इसीलिए उनका व्यवहार एकदम से रुखा और सख्त हो गया था। कल तक जो लोग इन्वेस्टिगेशन में सपोर्ट कर रहे थे.. आज वही लोग नहीं चाहते कि यह इन्वेस्टिगेशन हो।
10 मिनट बाद रनवीर अखिल के साथ हॉल में चल कर आता हुआ दिखाई दिया। बेशक अखिल अभी भी पिछली बार की तरह ही स्मार्ट और डैशिंग लग रहा था पर उसके चेहरे से नाखुशी और अनमनापन नजर आ रहा था।
अखिल बेमन से उन तीनों के सामने आकर बैठ गया और कहा, "पूछिए इंस्पेक्टर..! क्या पूछना चाहते थे..??"
"अखिल जी..! कल आपके घर में जो कुछ भी मिला आपको तो पता ही होगा.. उसके बारे में आपका क्या कहना है..?" रुद्र ने सोफे पर बैठे बैठे ही थोड़ा आगे सरकते हुए पूछा।
"मुझे पता चला कि आप लोगों को घर में क्या क्या मिला और उसके लिए आपने हमारे घर में कितनी ज्यादा तोड़फोड़ की।" अखिल ने नाराजगी भरे लहजे में कहा।
"बिल्कुल अखिल जी..! उसके लिए मैं आपसे माफी चाहता हूं। लेकिन हमारा कोई पर्सनल इंटेंशन नहीं था.. आपके घर में तोड़फोड़ करने का। बस हमें वहां कुछ संदिग्ध मिलने की आशंका थी.. उसी के लिए हमने वहां पर तोड़फोड़ की। और देखो वहां पर हमें काफी कुछ ऐसा मिला जो शायद आप लोगों के लिए थोड़ी सी परेशानी पैदा कर सकता है।" रूद्र ने बताया।
"मैं समझता हूं ऑफिसर..!" अखिल के तेवर यह सुनते ही थोड़े से नरम पड़ गए थे।
"आपने बताया नहीं की कल जो कुछ भी हमें मिला.. उसके बारे में आपका क्या कहना है??" रुद्र ने पूछा।
"ऑफिसर..! उसके बारे में हमें कोई भी जानकारी नहीं है। हम तो 1 हफ्ते से बाहर ही थे और अनीता के गायब हो जाने की खबर मिलते ही हम लोग यहां आ गए। अब उसके पीछे से यहां क्या हुआ उसके बारे में हमें कोई भी जानकारी नहीं है??" अखिल ने कहा।
"ओ..! आपके जाने के बाद घर पर सिर्फ दीप साहब ही थे। इसका मतलब है कि इन सब के बारे में दीप ही ठीक से बता पाएंगे।" चिराग ने कहा।
"दीप कैसे बता पाएगा..? वह कौन सा पूरे दिन घर पर रहता है। उसे भी सात सौ काम होते हैं.. अब वह बिजनेस देखें या फिर यह देखें कि उसके घर की दीवार में कौन, क्या और कब छुपा रहा है??" अखिल ने नाराज होते हुए जवाब दिया।
"हम सिर्फ अपना काम कर रहे हैं। जो भी कुछ मिला है.. हमें यह तो पता करना ही होगा कि वहां कैसे गया?? अगर आपके हिसाब से दीप को इस बारे में जानकारी नहीं है तो फिर आपके घर के नौकरों को जरूर होगी..?" रुद्र ने कहा।
"इसके बारे में आपको घर के नौकरों से ही पूछताछ करनी चाहिए। वह ही ठीक से बता पाएंगे।" अखिल ने कहा और कुछ देर रूककर कहा..
"अगर अब आपके सवाल खत्म हो गए हो.. तो मैं वापस जाना चाहूंगा। मुझे बहुत जरूरी काम से बाहर जाना है।"
"जी.. आप जा सकते हैं..!!" रूद्र ने कहा।
रूद्र से जाने की इजाजत मिलते ही अखिल तेज कदमों से चलते हुए अपने कमरे में चले गए। रुद्र, मृदुल और चिराग तीनों ने एक दूसरे को देखा और हां में अपना सर हिलाया। मृदुल और चिराग दोनों उसी समय उठकर बाहर चले गए और रूद्र ने इधर उधर देखा तो वहां पर उसे एक मेड नजर आई।
रूद्र ने उसे बुलाया और कहा, "मुझे रनवीर से बात करनी है। आप उन्हें बुला देंगे!!"
मेड ने हां में गर्दन हिलाई और घर के अंदर की तरफ चली गई। कुछ ही मिनटों में रनवीर रुद्र के सामने खड़ा था।
रुद्र ने रनवीर से कहा, "मुझे घर के सभी नौकरों से बात करनी है। आप उन्हें बुला देंगे.. और हां मुझे उनसे पूछताछ घर के अंदर नहीं करनी है। तो यह भी आप मुझे बता दीजिए कि मैं उनसे पूछताछ कहां कर सकता हूं..?"
रनवीर ने एक बार रुद्र की तरफ देखा और फिर घर की तरफ और फिर कहा, "आप चाहे तो गार्डन एरिया में सब से पूछताछ कर सकते हैं लेकिन वहां इस वक्त थोड़ी धूप होती है।"
"मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है। मैं बाहर गार्डन में ही सब का इंतजार करता हूं। आप सभी को 10 मिनट के अंदर अंदर गार्डन में भेज दीजिए।" रुद्र ने यह कहा और घर के बाहर निकल गया। रूद्र मेन गेट के सामने बने गार्डन में ही झूले पर बैठ गया था।
वह गार्डन घर के अंदर एंटर करते ही लेफ्ट हैंड साइड पर बना हुआ था जिसमें बहुत सारे पौधे, बड़े पेड़ और घास लगी हुई थी। बड़े पेड़ों पर बर्ड हाउस, बया के घोंसले लटक रहे थे.. जो शायद उस गार्डन को डेकोरेट करने के लिए लगाए होंगे। गार्डन के मिडिल में एक बड़ा सा झूला बना हुआ था। उसके एक साइड एक छोटी सी शेड बनी हुई थी.. जिसमें चार पांच कुर्सियां और एक राउंड टेबल रखी हुई थी। टेबल पर एक अखबार भी रखा था।
रूद्र उस झूले पर आकर बैठ गया। लगभग 5 मिनट बीते होंगे कि दीप के घर का सारा स्टाफ रुद्र के सामने खड़ा था। उस घर में छह नौकर थे.. जिनमें से 4 मेड, एक माली और एक उनका सुपरवाइजर था.. जो उन सब के काम पर नजर रखता था। दो चौकीदार गेट पर बैठे थे और नाइट ड्यूटी वाला चौकीदार अपने घर पर था.. जो उस बंगले की पीछे की साइड सर्वेंट क्वार्टर में रहता था।
रूद्र ने सभी लोगों से कहा, "आप सभी लोग शेड में जाकर आराम से बैठ सकते हैं। मुझे सभी से पूछताछ करनी है.. लेकिन एक एक करके!" सभी ने हां में गरदन हिलाई और शेड के नीचे जाकर चुपचाप खड़े हो गए।
रूद्र ने इशारा करके एक मेड को अपने पास बुलाया और उससे पूछा, "तुम्हारा नाम क्या है..?"
"जी माया..!"
"कितना समय हो गया तुम्हें यहां काम करते हुए..??"
"सर लगभग 3 साल होने को है..!"
"तुम्हें यहां पर कोई भी ऐसी बात दिखी जो नॉर्मल घरों में नहीं होती?"
"नहीं साहब..! यहां सब कुछ नॉर्मल ही है। मैंने कभी भी कोई भी लड़ाई झगड़ा या यहां तक किसी को ऊंची आवाज में बात करते भी नहीं सुना।"
"अच्छा..! तुम्हारा काम क्या है इस घर में..??"
"सर मैं पूरे घर की साफ सफाई और डस्टिंग करती हूं।"
"इतने बड़े घर की अकेले..??" रुद्र ने आश्चर्य से पूछा।
"नहीं सर..! कविता है ना मेरी हेल्प के लिए!!"
"कविता कौन..??" रुद्र ने पूछा।
"सर वह सामने जो सांवली सी, चश्मा लगाकर जो लड़की खड़ी है.. वही कविता है।"
"अच्छा ठीक है..! बुलाओ उसे भी।"
माया ने कविता नाम की मेड को भी इशारा करके बुला लिया। कविता ने आकर रूद्र को नमस्ते की और माया के पास जाकर खड़ी हो गई। कविता इस वक्त थोड़ी घबराई हुई सी लग रही थी। शायद यह उसके कम उम्र का होने के कारण हुआ होगा।
रुद्र ने पूछा, "कविता..! तुम यहां कब से काम कर रही हो ??"
कविता ने माया की तरफ देखा तो माया ने पलकें झपका कर उसे जवाब देने के लिए कहा।
"सर 2 साल हो गए।"
"तुम्हें तब से अब तक कोई भी ऐसी बात लगी जो कुछ अजीब हो!!"
कविता ने घबराते हुए कहा, "न..! नहीं.. मुझे कुछ भी अजीब नहीं लगा.. कुछ भी नहीं..!!"
कविता ने गर्दन हिलाकर ना में इशारा किया।
"तुम दोनों अच्छी तरह से सोच कर बताओ कि जो भी कुछ कल इस घर में मिला था.. वह सब कुछ तुमने पहले कभी देखा था?? मतलब की वह साड़ी किसकी थी और वह सब चीजे वहाँ कैसे पहुंची..??"
माया और कविता ने एक दूसरे की तरफ देखा और गर्दन झुका ली। रूद्र ने दोबारा पूछा, "क्या हुआ?? जवाब नहीं है तुम्हारे पास..??" इस बार रूद्र की आवाज थोड़ी सी सख्त थी।
कविता ने थोड़ा सा हकलाते हुए कहा, "सर वो साड़ी अनीता मैडम की थी। लेकिन उस पर खून कब और कैसे लगा.. वह मुझे नहीं पता?? और मैं भी यह भी नहीं जानती कि वह सब सामान वहां पर कैसे पहुंचा??"
"तुम लोग घर में ही काम करती हो ना.. फिर तुम्हें कैसे नहीं पता..??"
"सर जी..! हम लोग तो यहां पर सोमवार से शनिवार तक ही काम करते हैं। शनिवार को भी दोपहर 3:00 या 4:00 तक वापस अपने घर चले जाते हैं। उसके बाद यहां पर क्या होता है या फिर कौन, कहां और क्या करता है इस बारे में हमें कोई जानकारी नहीं है..??" माया ने जवाब दिया।
रुद्र को कविता थोड़ी सीधी सी दिख लग रही थी। रुद्र को लगा, "अगर कविता से अकेले में पूछताछ की जाए तो शायद हो सकता है कुछ जानकारी मिल जाए।"
"ठीक है जाओ तुम दोनों..!" रुद्र ने कहा।
रूद्र के कहते ही माया और कविता दोनों ही वापस चली गई। उन दोनों के कुछ दूर जाते ही रुद्र ने कविता को आवाज लगाई।
"कविता..!!"
"जी सर..!" कविता ने पीछे पलट कर कहा।
"यहां आओ!!" कविता रुद्र के पास जाकर गर्दन झुका कर खड़ी हो गई।
"कविता तुम अच्छे से सोच कर बताओ.. क्या तुम्हें कोई भी ऐसी बात याद आती है.. जो हमारी अनीता को ढूंढने में मदद कर सके। वैसे तो मुझे लगता नहीं है कि अनीता अब जिंदा होगी।"
अनीता के मरने की बात सुनते ही कविता के चेहरे की रंगत उड़ गई.. लेकिन कविता ने कुछ भी नहीं कहा।
रूद्र ने आगे कहा, "देखो कविता..! अगर तुम्हें कुछ भी पता है.. तो तुम मुझे बता सकती हो!"
कविता ने गर्दन उठाकर देखा तो उसकी आंखों में एक अनजाना सा डर दिखाई दे रहा था। रूद्र ने उसकी तरफ देखते हुए पूछा, "तुम कहां रहती हो..?"
"सर.. मैं माया के पास ही रहती हूं और मैं चाह कर भी आपको कुछ नहीं बता सकती!!" कविता ने घबराते हुए कहा।
"तो ठीक है तुम यहाँ नही बता सकती हो तो कहीं बाहर बता सकती हो या फिर तुम चाहो तो मुझे फोन करके सब कुछ बता सकती हो!!"
कविता ने हां मैं गर्दन हिलाई और कहा, "मैं आपको फोन कर दूंगी!"
"ठीक है.. यह लो मेरा नंबर 98763….. जब भी तुम्हें समय मिले.. आज या कल! जो भी तुम जानती हो बता देना!"
"ठीक है सर..!"
"और हां..! नंबर ध्यान से याद रखना!"
"98763….. ठीक है जाओ..!!"
कविता वापस चली गई और वहां जाकर उसने सानू को भेज दिया। अगली मेड जो आई थी उसका नाम सानू था। जिससे मृदुल पहले भी पूछताछ कर चुका था।
रुद्र ने उससे पूछा, "तुम यहां क्या करती हो??"
"सर मैं किचन में कुक की हेल्प करती हूं..!! मेरा काम किचन हेल्प करने के अलावा सबको चाय, पानी, नाश्ता और खाना सर्व करने का है। उसके अलावा और बाकी जो भी किचन में छोटे-मोटे काम होते हैं.. मैं उस में कुक की हेल्प करती हूं।"
"ओके..! तो इसका मतलब है तुम्हारा पूरा वक्त किचन मैं हीं गुजरता होगा..??"
"पूरा तो नहीं सर..! हां लेकिन लगभग पूरा कह सकते हैं।" सानू ने जवाब दिया।
सानू की बातों से रूद्र को उसके जरूरत से ज्यादा चालाक होने के बारे में पता चल रहा था। रूद्र ने उससे पूछा, "जब तुम पूरे टाइम किचन में ही रहती हो तो किचन में वह सब सामान कैसे आया..??"
"जी सर..! मैं पूरे टाइम किचन में ही रहती हूं.. लेकिन सोमवार सुबह 7:00 बजे से शनिवार दोपहर 3:00 बजे तक। उसके बाद शनिवार और रविवार हमारी छुट्टी होती है।" सानू ने अपनी सफाई दी।
"और रात में..? रात में.. तुम नहीं रहती हो..??"
"नहीं सर.. 8:30 बजे डेली हमारा ऑफ हो जाता है उसके बाद हमें सुबह 7:00 बजे तक यहां पहुंचना होता है।" सानू ने जवाब दिया।
"तो तुम्हें इस बारे में बिल्कुल कुछ भी नहीं पता कि वह सामान किचन में कैसे गया..?"
"बिल्कुल नहीं सर..! मुझे इस बारे में कोई जानकारी नहीं है।"
"ठीक है.. जाओ और उस आखरी बची मेड को भेज दो..!"
सानू वापस लौट गई और उसने उस आखिरी बची मेड को भेज दिया। उस अंतिम बची मेड ने आकर रुद्र को नमस्ते की और कहा, "सर मेरा नाम मीनू है। मैं यहां पर कुक हूं..!"
"तो तुम हो कुक..!"
"जी सर..!!"
"तो फिर तुम पूरा दिन किचन में ही रहती होंगी..!!"
"जी सर..!!"
"तो फिर इतना कुछ होने के बाद भी तुम्हें कैसे पता नहीं चला..?? तुम्हें कैसे नहीं पता चला कि कोई तुम्हारी नाक के नीचे इतना सब कुछ रखकर चला गया??"
"अब इसमें हम लोग क्या कर सकते हैं..! हम लोग तो सुबह से रात तक बस यहां काम करते हैं.. जो भी कुछ हमसे कहा जाता है। मैं वैसे भी लोगों से घुलना मिलना ज्यादा पसंद नहीं करती हूँ। मैं किसी से बात भी नहीं करती और मुझे बिल्कुल भी नहीं पता चलता कि कौन क्या रहा है??"
"ऐसा कैसे हो सकता है कि किसी ने कुछ सामान रखा और तुम्हें पता नहीं चला??
"सर आप चाहे तो इसे मेरी लापरवाही कह सकते हैं। लेकिन मैं सिर्फ अपने काम से ही काम रखती हूं। मेरा काम खाना, नाश्ता और चाय पानी बनाने का है। उसके बाद कौन आता है.. कौन जाता है..?? मुझे किसी से कोई मतलब नहीं।" मीनू ने अपना पक्ष स्पष्ट किया।
"ठीक है.. तुम जा सकती हो और हां.. उस आदमी को भेज देना। वह क्या करता है..??" रुद्र ने एक सूट पैन्ट पहने आदमी की तरफ इशारा करते हुए पूछा।
"सर सुपरवाइजर है..! मुकेश नाम है उसका!!" कुक ने पीछे मुड़कर उस आदमी को देखकर ज़वाब दिया।
"ठीक है.. जाओ मुकेश को भेज दो..!!"
कुछ ही पलों में मुकेश रुद्र के सामने आकर खड़ा हो गया और हाथ जोड़कर नमस्ते करते हुए पूछा, "सर बताइए..??"
"तो तुम मुकेश हो..! सुपरवाइजर..!!"
"जी सर..!"
"तुम्हारा काम क्या है..??"
"सर.. घर के बाकी सभी नौकरों के काम पर नजर रखना.. बाहर से जरूरत का कोई सामान लाना, किचन के लिए राशन.. सब्जियां वगैरह लाना और घर के किसी भी सदस्य को किसी भी चीज की जरूरत हो तो उसकी व्यवस्था करना।"
"तुम भी सैटरडे शाम से सोमवार सुबह तक अपने घर रहते हो..?"
"जी सर..! पूरे स्टाफ को इस टाइम छुट्टी मिलती है!!"
"पर ऐसा क्यों..?? छुट्टी मिलने का कोई विशेष कारण तो होगा??"
"हमें क्या पता सर.. हम तो गरीब आदमी है! जैसा मालिक लोग हुकुम देते हैं.. हम वैसा ही करते हैं। अब छुट्टी क्यों होती है.. उससे हमें क्या लेना देना..! हमें तो बस मालिक का हुकुम मानना होता है।" मुकेश ने जवाब दिया।
"उस सारे सामान के बारे में जो कल किचन में मिला था. तुम्हारा क्या कहना है??"
"सर इसमे मैं क्या कर सकता हूं?? वह सारा सामान किचन में था.. तो किसी घर वाले ने हीं रखा होगा। बाहर से तो इस घर में कोई परिंदा भी पर नहीं मार सकता।" मुकेश ने अपनी पूरी बात बेबाकी से कही।
"और वह सारा सामान किचन में मिला है.. तो यह भी हो सकता है कि इस पूरे मामले में किचन स्टाफ की भी साझेदारी रही हो।" रूद्र को मुकेश की साफगोई और उसका सरल व्यवहार काफी पसंद आया था।
"ठीक है जाओ.. और अगले को भेज दो..!" मुकेश चला गया और उसने माली को भेज दिया। माली एक पचास पचपन साल का अधेड़ सा आदमी था.. जिसने धोती कुर्ता पहना हुआ था।
माली ने आकर रूद्र को नमस्कार किया और कहा,
"जी साहब.. तुम यहां माली हो..?"
"जी साहब..!"
"कब से..??"
"साहब 10 साल हो गए..!"
"अनीता के बारे में तुम्हारा क्या कहना है..??"
"साहब.. अनीता मैडम बहुत अच्छी इंसान थी। कई बार हमारी मदद भी कर चुकी थी।" उस माली जवाब दिया।
"तुम्हें तो पता चल ही गया होगा कि तुम्हारे मालिकों का कहना है कि वह अपने प्रेमी के साथ भाग गई।"
"जी सरकार.. मैंने सुना था पर मुझे उन्हें देखकर कभी नहीं लगा कि वह ऐसी औरत होंगी!!"
"तो फिर उसके यहां से जाने की वजह..???"
"सरकार वह तो अनीता मैडम ही जाने या फिर मालिक लोग..! हम लोग तो बस छोटे-मोटे नौकर हैं। हमें एक तो वैसे ही घर की बातों के बारे में कुछ पता नहीं है और अगर कुछ बात पता भी हो.. तो जो बात हमारे गरीब लोगों के लिए बड़ी बात होती है पैसे वाले लोगों के लिए वह इज्जत बढ़ाने वाली बात होती है।"
"मतलब..??"
"साहब हमारे घर की कोई लड़की देर रात घर लौटे तो घरवालों को उसे ऊंच-नीच समझाते हुए बाहर जाना बंद करवाना पड़ता है। वहीं अगर किसी पैसे वाले की बेटी देर रात घर आए तो उसे सिर्फ इतना कहा जाता है कि एक फोन करके बता देना चाहिए था कि तुम देर रात घर आओगी या रात को वापस नहीं आओगी।" माली ने जवाब दिया।
"इतनी रात कौन घर वापस आता था??"
"सरकार हम तो नहीं जानते यह बात..! हम तो यहां से 5:00 बजे ही चले जाते हैं और ये जो बात हमने कही थी ये बस मिसाल थी।"
"5:00 बजे.. इतनी जल्दी क्यों..??"
"सरकार 6:00 बजे बाद पौधे सो जाते हैं.. तो उसके बाद उन्हें पानी देना या काटना छांटना ठीक नहीं होता। इसीलिए हम 5:00 बजे ही चले जाते हैं।"
"अच्छा तो तुम्हें कुछ ऐसा पता है जो कुछ अजीब हो..?"
"नहीं सरकार.. कुछ भी नहीं पता!!"
"ठीक है जाओ..!!" माली पलट कर जैसे ही जाने वाला था रूद्र ने उसे पीछे से आवाज दी।
"अच्छा सुनो..!!"
"जी सरकार..!!"
"तुम यहां पेड़ पौधों की देखभाल करते हो!! तो तुमने यहां पर किचन गार्डन भी बनाया हुआ होगा..??"
माली ने खुश होते हुए पूछा, "आपको किचन गार्डन के बारे में कैसे पता??"
रुद्र ने अपनी बात को घुमाते हुए कहा, "कैसे नहीं पता होगा..! इतना बड़ा घर है तो सभी लोग किचन गार्डन बनाते हैं.. क्या बोलते हैं उसे ऑर्गेनिक वेजिटेबल..!!"
"जी सर बनाते हैं..! हमने भी बना रखा है.. हम रसोई की सारी सब्जियां, उनके छिलके, बचा हुआ खाना, चाय पत्ती यहां तक की रसोई से सब्जियां धोने या दाल धोने का पानी भी उसी गार्डन में डालते हैं। आपको देखना है..??" माली ने बड़े ही एक्साइटेड होकर किचन गार्डन के बारे में जानकारी दी।
रूद्र ने हां में गर्दन हिलाई और कहा, "अगर तुम्हें परेशानी ना हो तो..??"
"नहीं.. नहीं साहब..! हमें क्यों परेशानी होगी.. चलिए आपको दिखा देते हैं!!" ऐसा कहकर माली आगे आगे चल दिया और रूद्र उसके पीछे-पीछे बंगले के बैक साइड में बने किचन गार्डन की तरफ चला गया।
जाने से पहले उसने सभी नौकरों को वापस जाने की इजाजत दे दी थी।
वह एक बड़ा सा किचन गार्डन जिसमें डेली जरूरत की सारी सब्जियां उगाई गई थी। कुछ मौसमी सब्जियां और कुछ इंटरनेशनल सब्जियां भी वहां उगाई गई थी। छोटी-छोटी क्यारियों में फूल गोभी, पत्ता गोभी, गाजर, मटर, टमाटर और भी ना जाने क्या-क्या उगाया हुआ था। सेंटर में 10 बाई 10 की जगह खाली थी।
मृदुल और चिराग भी वही पर थे। उन्हें वहां देखकर माली एकदम से हैरान रह गया और रुद्र की तरफ अचंभे से देखा।
"आप..! आप लोग यहाँ क्या कर रहे हैं..??" माली ने हकलाते हुए पूछा।
मृदुल और चिराग ने एक दूसरे की तरफ देखा.. उसके बाद रुद्र की तरफ देखा। रूद्र ने आंखों से कुछ इशारा किया और मृदुल और चिराग ने माली से कहा, "रूद्र सभी से पूछताछ कर ही रहा था तो हमने सोचा.. इतना सुंदर गार्डन है तो एक बार देख ले। बस देखते देखते यहां तक पहुंच गए.. आपने सच में यार बहुत ही ज्यादा मेहनत की है इस गार्डन को इतना सुंदर बनाने में..!" मृदुल ने तारीफ करते हुए कहा।
माली यह बात सुनकर बहुत ज्यादा खुश हो गया और उसने हल्का सा शर्माते हुए कहा, "जी साहब..! बस आप सब बड़े लोग तारीफ कर देते हैं.. हमारे लिए वही बहुत बड़ी बात है। इसी तारीफ के लिए हम थोड़ी बहुत मेहनत कर लेते हैं।"
मृदुल और चिराग कुछ तेज आवाज में माली से इधर उधर की बातें करने लगे। उसके बाद रुद्र ने पूछा, "एक बात बताओ..! यह बीच गार्डन में जगह खाली क्यों रखी है??"
"कौन सी जगह साहब..??" माली ने पूछा।
"अरे यही खाली जगह..! जिसमें कुछ भी उगाया हुआ नहीं है!!"
"अच्छा वह.. वह तो हमने क्यारी तैयार की है। इसमें अगले मौसम की सब्जियां जैसे धनिया, मिर्च, तोरई और टिंडे उगाने वाले है। अखिल साहब को बाजार से लाई हुई सब्जियां खाना पसंद नहीं है.. इसीलिए उनके लिए सब्जियां यही उगती है।" माली ने बहुत ही उत्साहित होकर बताया।
"तो फिर तुम्हारे अलावा तो किसी और का आना जाना होगा भी नहीं यहां..??" रुद्र ने पूछा।
"नहीं साहब..! हमारे अलावा और कोई यहां नहीं आता।" माली के ज़वाब देते ही मृदुल ने रुद्र की तरफ देखकर कुछ इशारा किया।
रुद्र ने मृदुल को देखा और उसने माली को फिर से बातों में लगा लिया। रूद्र ने माली से पूछा, "एक बात बताओ..! तुम सिर्फ यही काम करते हो या फिर कहीं और भी..?"
"नहीं मालिक..! हम बस यही काम करते हैं। इतने बड़े बाग बगीचे की देखभाल के बाद टाइम ही कहां मिलता है कि कहीं और जाकर काम कर पाए।" माली ने अपने काम के बोझ का हवाला देते हुए अपनी असमर्थता जताई।
"पर अगर आपको जरूरत है तो आप बता दीजिए..! हम रविवार को आकर आपके बगीचे को संभाल देंगे।" माली ने रुद्र की तारीफ से खुश होकर कहा।
रूद्र ने मुंह बनाते हुए कहा, "कहां भैया..! हमारी ऐसी किस्मत कहां कि हमारे घर में बगीचे हो!! अच्छा चलो अब हम चलते हैं.. कुछ और जरूरत होगी तो आपसे बात करने के लिए आएंगे।" ऐसा कहकर रूद्र, मृदुल और चिराग तीनों वहां से निकल गए। अब तक रुद्र के कहे हिसाब से ही सब कुछ हो रहा था।
माली थी उन लोगों के पीछे पीछे ही बाहर की तरफ आ गया। बाहर आकर मृदुल और चिराग चौकीदार से पूछताछ करने के लिए गए और रूद्र अपनी गाड़ी लेने के लिए चला गया।
मृदुल ने चौकीदार से पूछा, "एक बात बताओ..! अभी जब से अनीता गायब हुई है तब से या उससे पहले से कोई ऐसा आदमी आया या गया जिस पर शक किया जा सके..?"
"नहीं साहब अंदर बिना पूछे तो कोई भी नहीं आता। बस वही लोग आ सकते हैं.. जिन्हें अंदर आने की इजाजत मालिक लोगों ने दी हो। उसके अलावा और कोई नहीं आता।" चौकीदार ने जवाब दिया।
"तुम्हारे पास आने जाने वालों की कुछ एंट्री वगैरह होती होगी.. जिससे यह पता चले कि कौन-कौन आया था और कितनी देर यहां रुका..??" चिराग ने पूछा।
"बिल्कुल साहब..!!" ऐसा कहते हुए चौकीदार ने एंट्री रजिस्टर मृदुल को दिखा दिया। मृदुल ने वह रजिस्टर खुद देखकर फिर चिराग को देखने के लिए दिया।
और उसने दूसरे चौकीदार से पूछा, "यहां सीसीटीवी कैमरा कहां-कहां लगा है??"
"नहीं साहब..! यहां पर कहीं भी सीसीटीवी कैमरा नहीं लगा हुआ! इस पूरे इलाके में और मेन गेट पर आसपास कहीं भी सीसीटीवी कैमरा नहीं लगा हुआ।" चौकीदार ने कहा।
"ऐसा क्यों..?" रजिस्टर देखते देखते चिराग ने गरदन उठाकर चौकीदार से पूछा।
"वह हम क्या जाने..! ये तो मालिक लोग ही बता सकते हैं कि उन्होंने घर में सीसीटीवी कैमरा क्यों नहीं लगाया है। हमें तो बस अपने काम से ही मतलब है.. जो हम पूरे ध्यान से करते हैं।"
मृदुल जब चौकीदार से बात कर रहा था तभी किसी ने दरवाजे को ठोका।
"कौन है भाई..?" चौकीदार ने दरवाजे में बनी छोटी सी खिड़की से बाहर झांकते हुए पूछा।
बाहर आए व्यक्ति को देखते ही चौकीदार ने दरवाजा खोल कर कहा, "अरे कहां थे इतने दिनों से.. ना कोई चिट्ठी, ना कोई फोन और ना ही कोई और खबर..! यह ठीक बात थोड़ी है...शंभू काका...!!!"
शंभू काका का नाम सुनते ही मृदुल और चिराग दोनों ही चौंक गए। दोनों ने एक दूसरे की तरफ देखा और फिर बाहर से आने वाले व्यक्ति को देखने लगे। तब तक रुद्र भी अपनी गाड़ी लेकर वहां आ पहुंचा था। रूद्र ने मृदुल और चिराग को गाड़ी में बैठने का इशारा किया.. तो मृदुल ने इशारे से रुद्र का ध्यान बाहर से आने वाले व्यक्ति की तरफ खींचा।
तब तक वह आदमी दरवाजा खोल कर अंदर आ चुका था। वह व्यक्ति एक साथ 65 साल का बुज़ुर्ग आदमी था। छोटी हाइट, भूरी आंखें, पके हुए बाल और दाढ़ी, हल्की सी झुकी हुई कमर और धोती कुर्ता पहने.. कंधे पर गमछा डाले एक छोटा सा बैग लिए धीरे धीरे कदमों से चलता हुआ अंदर आया।
"बहुत दिन बाद वापस आए शंभू काका..!"
शंभू काका का नाम सुनते ही रूद्र एकदम से चौक गया.. रूद्र ने झटके से मृदुल की तरफ देखा तो मृदुल ने आंख से इशारा करते हुए अपनी सहमति दी।
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मृदुल ने आगे बढ़कर शंभू काका से पूछा, "तो आप ही हैं शंभू काका..!!"
"जी साहब..! अभी तक हम ही हैं!!" उस आने वाले बूढ़े व्यक्ति ने थोड़े मजाकिया ढंग से कहा।
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"शंभू काका.. हमें आपसे कुछ जरूरी बात करनी है।" शंभू काका ने थोड़ा नासमझी से चौकीदार की तरफ देखा। चौकीदार थोड़ा सा घबराया हुआ सा दिख रहा था।
चौकीदार शंभू काका को पकड़ कर एक तरफ ले गया और जल्दी-जल्दी में कहा, "शंभू काका..! यह लोग पुलिस वाले हैं!!"
"पुलिस वाले..?? यहां क्या कर रहे हैं..?? काहे के लिए आए हैं..??"
"शंभू काका..! अनीता मैडम गायब है.. दीप साहब ने रिपोर्ट लिखवाई थी कि वह अपने प्रेमी के साथ भाग गई??"
"क्याऽऽऽ..??" शंभु काका ने लगभग चिल्लाते हुए कहा। अनीता के गायब होने की खबर सुनते ही उन्हें हल्का सा चक्कर सा आ गया था। अगर सही वक्त पर उस चौकीदार ने उन्हें नहीं संभालता होता.. तो वह गिर ही पड़ते।
मृदुल और चिराग तेजी से चलते हुए शंभू काका के पास गए और उनसे कहा, "आप ठीक तो हैं..??"
"हां साहब..! हम बिल्कुल ठीक हैं!!" शंभू काका ने हल्की सी घरघराती आवाज में कहा।
"काका हमें आपसे अनीता के बारे में कुछ बातचीत करनी है??" मृदुल ने बहुत ही नर्म आवाज में पूछा।
"बताइए साहब..! हम आपकी का मदद कर सकते हैं।" अब तक शंभू काका अपने आप को थोड़ा संभाल चुके थे।
रुद्र भी गाड़ी वहीं छोड़कर शंभू काका के पास आया और कहा, "काका.. मेरे हिसाब से यहां पर बात करना ठीक नहीं होगा। अगर आपको बहुत ज्यादा तकलीफ ना हो तो आप हमारे घर चलकर आज रात रुक सकते हो। वहीं पर हम बातें भी कर लेंगे..!"
शंभू काका ने ज्यादा विरोध ना करते हुए रुद्र के साथ जाने के लिए हामी भर दी। मृदुल ने चिराग की तरफ देखा तो चिराग उसके इशारे को समझते हुए शंभू काका का बैग लेकर रुद्र की गाड़ी की तरफ चला गया। मृदुल ने शंभू काका को थोड़ा सा सहारा दिया और रूद्र की गाड़ी में बैठाने के लिए चल दिया।
रुद्र ने उस चौकीदार की तरफ देखा और कहा, "यह बात कि शंभु काका वापस आ गए हैं.. जब तक हम ना बताएं किसी को पता नहीं चलना चाहिए।"
यह बात रुद्र ने थोड़ा सा धमकाते हुए कही थी। ।
इसीलिए चौकीदार ने थोड़ा डरते हुए हाँ में कहा।
"जी साहब..! जब तक शंभू काका दोबारा वापस नहीं आ जाते.. हम यह बात किसी को भी नहीं बताएंगे कि शंभू काका आज आए थे।"
रुद्र ने दूसरे चौकीदार की तरफ देखा तो उसने भी हां में कहा, "जी बिल्कुल..! हम किसी को भी नहीं बताएंगे।"
उसके बाद रूद्र अपनी गाड़ी में आकर बैठ गया और गाड़ी स्टार्ट करके अपने फ्लैट की तरफ निकल गया। गाड़ी में सभी एकदम चुप चाप बैठे थे। किसी ने भी कोई भी बात नहीं की।
वैसे ही चुपचाप वह लोग रुद्र के घर पहुंच गए। रूद्र ने फ्लैट का ताला खोला और शंभू काका को अंदर आने के लिए कहा, "आइए काका..!हम अपने ही घर में हैं.. आप बिल्कुल भी पराया महसूस ना करें.. इसे अपना ही घर समझें।"
रुद्र के पीछे पीछे शंभू काका और उसके बाद में मृदुल और चिराग दोनों ही फ्लैट में आ गए और उसके बाद उन्होंने दरवाजा बंद कर दिया।
चिराग ने शंभू काका को पीने के लिए पानी ला कर दिया शंभू काका ने पानी पिया और वह शांति से एक जगह बैठ गए। रूद्र ने चिराग को इशारा किया और चिराग बाहर जाकर उन लोगों के खाने पीने की व्यवस्था करने के लिए चला गया।
इन सबके बीच में वह लोग फॉरेंसिक लैब से रिपोर्ट लाना भूल ही गए थे। कुछ ही देर में चिराग सभी के लिए खाना लेकर वापस लौटा। सभी ने खाना खाया और उसके बाद तीनों शंभू काका के ही आसपास बैठ गए। शंभू काका उस वक्त बहुत ही ज्यादा दुखी दिखाई दे रहे थे।
मृदुल ने उनके कंधे पर एक सांत्वना भरा हाथ रखा और कहा, "काका होनी को तो कोई नहीं टाल सकता। लेकिन अगर आप थोड़ी सी मदद कर दे तो अनीता के सर पर लगे झूठे इल्जाम को मिटाया जा सकता है।"
फिर कुछ देर रुक कर चिराग ने कहा, "काका कल हमें घर में खून से सनी हुई अनीता की साडी मिली थी..!!"
"खून की भीगी साड़ीऽऽऽऽ..??" शंभू काका ये सुनते ही जोर से चीखें।
क्रमशः...
Reyaan
09-Jun-2022 12:33 PM
👏🙏🏻👌
Reply
Aalhadini
13-Jun-2022 02:40 PM
Thanks
Reply
Shrishti pandey
08-Jun-2022 01:59 PM
Very nice part
Reply
Aalhadini
13-Jun-2022 02:40 PM
Thank you 🙏
Reply
Punam verma
08-Jun-2022 01:42 PM
Nice
Reply
Aalhadini
13-Jun-2022 02:40 PM
Thanks ma'am
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